Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana

Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana 2023 – मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ऑनलाइन

Govt. Scheme

Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana विभिन्न भारतीय राज्यों में चलाई जाने वाली सरकारी योजना होती है, जिसका उद्देश्य विवाहित जोड़ों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब वर्ग के व्यक्तियों को उनके विवाह की व्ययों में सहायता प्रदान करना है ताकि उन्हें अपने सामाजिक स्थिति को सुधारने का मौका मिल सके।

Table of Contents

योजना के तहत, विवाहित जोड़ों को विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जैसे कि विवाह शुल्क, वस्त्र, और शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में विवाह के लिए आवश्यक सामग्री का प्राप्त करने में सहायता। इसके अलावा, कुछ योजनाएं शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की भी प्रदान कर सकती हैं, ताकि विवाहित जोड़े अपने जीवन को बेहतर बना सकें।

योजना के तहत की जाने वाली आर्थिक सहायता की मात्रा और योजना की विशेष विवरण राज्य के नियमों और नीतियों के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। यह योजनाएं गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं।

कृपया ध्यान दें कि योजनाओं के विवरण और योजनाओं की उपलब्धता राज्य सरकारों के आधार पर बदल सकते हैं, इसलिए आपको अपने राज्य की सरकार या संबंधित विभाग से योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

विवाह के लिए मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई एक योजना के संक्षेप में

Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana गरीब परिवारों की पात्र लड़कियों के साथ-साथ गरीबी में रहने वाली विधवा, परित्यक्ता या तलाकशुदा महिलाओं की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। विवाह अपने सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार एक भव्य समारोह में आयोजित किए जाते हैं। योजना का उद्देश्य समाज में सामाजिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना है। योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार प्रति जोड़े पर 51,000 रुपये खर्च करती है, जिसमें से 35,000 रुपये दुल्हन के बैंक खाते में सुखी वैवाहिक जीवन और गृहस्थी स्थापित करने के लिए स्थानांतरित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, दुल्हन के लिए और एक भव्य समारोह के आयोजन के लिए क्रमशः 10,000 रुपये और 6,000 रुपये का उपहार प्रदान किया जाता है।

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Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana में 51000/- रु० का सहयोग धनराशी

योजना का नाम मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना
किस विभाग के अंतर्गत समाज कल्याण विभाग
कितना रूपया मिलता है कुल 51000 रु० [ 35000+10000+6000]
योजना का कार्यक्रम प्रस्तावित दिनांक 23-11-2023, 15-12-2023, 31-01-2024, 24-02-2024, 05-03-2024
किस जाति के लोग आवेदन करें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग,अल्पसंख्यक वर्ग, सामान्य वर्ग के गरीब व्यक्ति l यानि कि सभी जाति-धर्म के लोग आवेदन कर सकते हैं l

Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana के मुख्य उद्देश्य

उत्तर प्रदेश सरकार ने बाल विवाह को रोकने और शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ गरीब परिवारों के सामाजिक कल्याण में सुधार के लिए एक योजना शुरू की है। जो परिवार गरीबी के कारण अपनी बेटियों की उचित शादी का खर्च उठाने में असमर्थ हैं, उनके लिए सरकार सामूहिक विवाह समारोह आयोजित करती है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत गरीब परिवारों की बेटियों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनका दाम्पत्य जीवन बसाने के लिए उपहार भी दिये जाते हैं।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के मुख्य लाभ एवं विशेषताएं

  • Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana उत्तर प्रदेश राज्य में गरीब परिवारों के पात्र जोड़ों के लिए सामूहिक विवाह कराने की एक योजना है।
  • मुख्यमंत्री योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन नगर निकाय (नगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम), ब्लॉक पंचायत, जिला पंचायत स्तर पर जिला स्तरीय अधिकारियों जैसे जिलाधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी आदि द्वारा किया जाता है। और तहसील.
  • समस्त उत्तर प्रदेश राज्य के परिवार जो आर्थिक रूप से कमजोर, गरीब और लाचार हैं, उन्हें लाभ मिलेगा।
  • गरीब परिवार के दोस्तों की शादी के लिए फिल्मी तोहफों में आम तौर पर कपड़े, सिल्वर की बिछिया और पायल, स्टील डिनर सेट, डूम कुकर, ट्रॉली बैग, वैनिटी किट और दीवार घड़ी शामिल हैं।
  • इस योजना के तहत, गरीब परिवार के दोस्तों की लड़की को राज्य सरकार द्वारा कुछ पैसे, 35,000 पीयर की राशि, उसके बैंक खाते में डाल दी जाती है।
  • मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ राज्य के गरीब परिवार की विधवा/परित्यक्ता/तलाकशुदा महिला भी प्राप्त कर सकती हैं ।
  • इस योजना के अंतर्गत सभी धर्मों, समूहों और संस्कृतियों की मदद मिलती है।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए योग्यता एवं शर्तें – Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana Eligibility

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ आवश्यक योग्यता मानदंड (Eligibility Criteria) तय किये हैं जिसके आधार पर जोड़ों को इस योजना का लाभ प्राप्त हो सकेगा – Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana

  • कन्या के अभिभावक उत्तर प्रदेश के मूल निवासी माननीय।
  • बेटी और उसके माता-पिता निराश्रित, गरीब और मांग के प्रति आश्वस्त नहीं हैं।
  • आवेदक के परिवार की वार्षिक आय सीमा अधिकतम ₹2,00,000/- तक है।
  • शादी के लिए आवेदन में बेटी की उम्र कम से कम 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए और दूल्हे की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए। उम्र की पुष्टि के लिए स्कूल रिकॉर्ड, जन्म प्रमाण पत्र, मतदाता पहचान पत्र, सरकारी रोजगार कार्यक्रम से जॉब कार्ड और आधार कार्ड स्वीकार किया जाएगा।
  • यदि एक लड़की की शादी नहीं हुई है, अलग हो गई है या तलाक हो गया है, और दूसरी शादी हुई है, तो वह पुनर्विवाह कर सकती है।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदकों को जाति प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
  • ऐसी लड़की जिसकी शादी होने की कोई आशा न हो, विधवा की बेटी, विकलांग माता-पिता की बेटी, ऐसी लड़की जो स्वयं विकलांग हो, को प्राथमिकता दी जाएगी।
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मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह ऑनलाइन कैसे करें – Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana Online Link

आवेदन पत्र: सभी महिला प्रार्थी अपना आवेदन भर सकते है, नियमनुसार उत्तर प्रदेश निवासी बालिग़ कन्या / एवं महिला ही आवेदन कर सकती है, इसके लिए उसका आधार नंबर होना आवश्यक है। आवेदन के समय लगने वाले सभी दस्तावेजों को उन्हें पूरा करना होगा आवेदन के सफलतापूर्वक भेजे जाने पर उनके लिंक मोबाइल पर उनके फॉर्म की स्थिति का स्टेटस मैसेज के माध्यम से पता चलता रहेगा। विवाह के उपरांत अपना प्रमाण पत्र ऑनलाइन भी प्रिंट कर सकते है।

ऑनलाइन आवेदन करने के लिएयहाँ क्लिक करे
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ऑनलाइन के बाद फाइनल प्रिंटयहाँ क्लिक करे
समाज कल्याण विभागयहाँ क्लिक करे
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ऑनलाइन करने के दिशा निर्देश – How to apply Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana

इस योजना को ऑनलाइन करने से पहले आपको इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना होगा और विभाग के वेबसाइट को एक बार जाँच कर लेना है l मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ऑनलाइन हेतु निम्न स्टेप फॉलो करें –

Step 1 : सबसे पहले आपको ऑफिसियल वेबसाइट को ओपन करना है उसके बाद उसमें दिए गए ऑप्शन को अच्छे से भरना है l आवेदक लड़की के माता को बनायें उनका ही सब डॉक्यूमेंट लगेगा l आवेदक के आधार में मोबाइल नंबर लिंक हो l वेबसाइट ओपन होने के बाद अंकों का आधार नंबर दर्ज करें उसके बाद आधार में जो नाम है वो लिखें उसके बाद आधार में जो जन्मतिथि है वो सेलेक्ट करें उसके बाद आधार से लिंक मोबाइल नंबर दर्ज करें फिर ट्रिक करें उसके बाद Verify पर क्लिक करें l

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शादी – विवाह क्या है

विवाह (Marriage) एक सामाजिक संस्कृति और कानूनी आदर्श है, जिसमें एक पुरुष और एक स्त्री एक-दूसरे के साथ जीवनसंगी बनते हैं। यह एक व्यक्तिगत और सामाजिक अनुबंध होता है जिसमें दो व्यक्तियों के बीच आपसी समझौता होता है कि वे एक-दूसरे के साथ अपना जीवन बिताएंगे और आपसी समर्थन देंगे। विवाह धार्मिक, सामाजिक, और कानूनी प्रमाणीकरण का एक हिस्सा हो सकता है, और इसका उद्देश्य वंश वृद्धि, सामाजिक संरक्षण, और व्यक्तिगत सुख-शांति की समर्थन करना होता है।

विवाह के अनुच्छेद और कानून विभिन्न देशों और समुदायों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, और इसमें आयु, सम्बंध, और संपत्ति के संबंध में निर्देश होते हैं। विवाह के बारे में कानूनी जानकारी और दिशा-निर्देशों के लिए आपके देश और राज्य के कानूनी प्राधिकृत प्राधिकरण से संपर्क करना जरूरी होता है।

विवाह कई समाजों, धर्मों, संस्कृतियों और कानूनी प्रणालियों में विभिन्न रूपों में होता है, लेकिन यह आमतौर पर एक सामान्य सिद्धांतों पर आधारित होता है। विवाह में विभिन्न आचार-विचार, रीति-रिवाज, संस्कार और कानूनी प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं, जो उस समाज या सांस्कृतिक समुदाय के आदिवासी होती हैं।

विवाह एक महत्वपूर्ण घटना होती है जो दो व्यक्तियों के बीच साझेदारी, समर्थन और संबंध की अवश्यकता को प्रकट करती है। यह एक जीवन भर की अधिकारी और विश्वास की समर्थन देने वाली रिश्ता होती है जो सद्गुण और संघटन का एक उदाहरण स्थापित करती है।

विवाह कितने प्रकार के होते हैं

विवाह कई प्रकार के हो सकते हैं, जो विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और कानूनी प्रणालियों के आधार पर विभिन्न हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख प्रकार के विवाह होते हैं:

  1. आर्य समाज विवाह: इसमें विवाह के साथ साथ विभिन्न धार्मिक रीतियों का पालन किया जाता है और विवाहित जोड़ा धार्मिक अनुष्ठानों को मानता है।
  2. गैर-आर्य समाज विवाह: इसमें विवाहित जोड़ा आर्य समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन नहीं करता है और उनके लिए यह धार्मिक अनुष्ठानों को तोड़ने का कारण बन सकता है।
  3. गोत्र विवाह: कुछ समाजों में गोत्र नामक वंश की श्रेणियों के अनुसार विवाह करने की परंपरा होती है, जिसका उद्देश्य गोत्र के सदस्यों के बीच वंशानुगत संबंधों को बचाना है।
  4. लव मैरिज या प्यार मैरिज: इसमें विवाह करने के पहले विवाहित जोड़े के बीच में प्यार और चुनौतियों का सामना करना होता है, और यह बिना किसी परंपरागत आर्य समाज अनुष्ठान के किए जाते हैं।
  5. सामलैंगिक विवाह: इसमें दो व्यक्तियों के बीच एक ही लिंग के होने के बावजूद विवाह का आयोजन किया जाता है। यह कुछ देशों और राज्यों में कानूनी हो सकता है और कुछ जगहों पर यह कानूनी रूप से मान्य नहीं हो सकता है।
  6. अंतर-जाति विवाह: इसमें विवाहित जोड़ा विभिन्न जातियों से होता है, और यह कुछ समाजों में तबू हो सकता है।
  7. अंतर-धर्म विवाह: इसमें विवाहित जोड़ा विभिन्न धर्मों से होता है, और यह कुछ समाजों में विवादित हो सकता है।
  8. सिविल विवाह: इसमें विवाह कानूनी प्रक्रियाओं के अंतर्गत होता है और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन नहीं किया जाता है।
  9. धार्मिक विवाह: यह विवाह धार्मिक गुणधर्मों और आचार-विचार के साथ किया जाता है, और धार्मिक पूजा और अनुष्ठानों के साथ होता है।

विवाह के तरीके और प्रकार विभिन्न समाजों और संस्कृतियों में अलग-अलग हो सकते हैं, और इसका कानूनी मायने भी देश और राज्य के कानूनों के अनुसार विभिन्न हो सकता है।

हिन्दू धर्म में विवाह का रीति-रिवाज क्या है

हिन्दू धर्म में विवाह के रीति-रिवाज बहुत ही प्राचीन और समृद्ध होते हैं और इनमें धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता होती है। हिन्दू विवाह के रूप, रीतियां और रस्में विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में थोड़ी भिन्न-भिन्न हो सकती हैं, लेकिन कुछ मूल तत्व समान होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य विशेषताएं:

  1. कुंडली मिलान (Horoscope Matching): हिन्दू विवाह में कुंडली मिलान का महत्वपूर्ण भूमिका होता है। इसमें विवाह के पूर्व ज्योतिषशास्त्रियों द्वारा दो विवाहित जोड़े की कुंडली (जन्म पत्रिका) के गुण मेलाप की जांच की जाती है, जिससे उनका आस्थाई और लम्बा साथीत्व के लिए संघटन की संभावना प्राप्त होती है।
  2. विवाह मुहूर्त (Wedding Date): विवाह का सही मुहूर्त चुनना महत्वपूर्ण होता है। धार्मिक पंचांग और ज्योतिष के आधार पर विवाह का समय और तारीख तय की जाती है, जो शुभ और मांगलिक माना जाता है।
  3. सप्तपदी (Seven Vows): हिन्दू विवाह में विवाहित जोड़े को सात वचन (सप्तपदी) लेने का रस्म होता है। इन सप्तपदियों में विवाहित जोड़े एक-दूसरे के साथ विवादों को सुलझाने और एक साथ जीवन के सभी पहलुओं का साथ देने की प्रतिज्ञा करते हैं।
  4. कन्या दान (Kanya Daan): विवाह के समय, दुल्हन के पिता द्वारका नगरी की तरह दुल्हन को दूल्हे के समुद्री रूप (वाहन) से दूल्हे के पास पहुंचाते हैं और उनकी कन्या दान करते हैं।
  5. फेरे (Circumambulation): हिन्दू विवाह में ब्रिद के दुल्हन और ग्रूम के साथ मंदिर के अलावा अपने परिवार और मंगलिक चिन्हों के चारों ओर कुछ बार चारों ओर फेरे लगाते हैं। इसका प्रत्येक फेरा एक सांस्कृतिक और धार्मिक आर्थिक होता है।
  6. सिंदूर डालना (Applying Sindoor): विवाहित ब्राइड के मांग पर सिंदूर (कुमकुम या वर्मिलियन) डालना हिन्दू धर्म में पति-पत्नी के संबंध का प्रतीक होता है।
  7. मांगलीसूत्र (Mangalsutra): विवाहित ब्राइड के गर्दन में मांगलीसूत्र पहनाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है, जो उसके सौभाग्य और पति के साथ सुरक्षा का प्रतीक होता है।
  8. फेरों के बाद दुल्हन का गर्ह प्रवेश (Bride’s Entry After the Wedding Rounds): विवाहित जोड़े के फेरों के पूरा होने के बाद, दुल्हन को अपने ससुराल का गर्ह प्रवेश करना होता है, जिससे उसके नए जीवन का प्रारंभ होता है।

हिन्दू धर्म में विवाह का यह सिर्फ़ एक छोटा सा अंश है, और यह रीति-रिवाज विवाहित जोड़े के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थान रखते हैं। इसमें परंपरागत मूल्यों, नैतिकता, और परिवार के संबंधों का महत्वपूर्ण भूमिका होता है।

इस्लाम धर्म में विवाह का रीति-रिवाज क्या है

इस्लाम धर्म में विवाह का रीति-रिवाज बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसमें धार्मिक और सामाजिक महत्वपूर्णता होती है। इस्लामी विवाह के कुछ मुख्य पहलुओं और रस्मों के बारे में निम्नलिखित है:

  1. निकाह (शादी का अदान-प्रदान): इस्लाम में विवाह का प्रमुख धार्मिक क्रिया निकाह होता है, जिसमें दो व्यक्तियों के बीच एक शादी का समझौता होता है। निकाह की क़ुदरती प्रक्रिया होती है जिसमें दोनों पक्षों के संवाद के बाद महर (दहेज) के साथ शादी का समझौता किया जाता है।
  2. महर (दहेज): निकाह के दौरान, दुल्हन को महर के रूप में किसी धनराशि का दान दिया जाता है, जो उसकी सुरक्षा और उसके भविष्य के लिए होता है।
  3. वकील (मजारीब और नज़ीर): इस्लामिक विवाह में वकील की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वकील विवाह के लिए विशेष आदालत में शादी के लिए क़ायम किए जाते हैं, और वे निकाह के समझौते को साक्षी के रूप में दर्ज करते हैं।
  4. शुहदा (गवाहों के साक्षी): निकाह के दौरान, शादी के समझौते को गवाहों के साक्षी दर्ज करते हैं, जो आदालत में गवाही देते हैं कि विवाहित जोड़ा ने अपने समझौते को स्वतंत्र रूप से और बिना किसी दबाव के किया है।
  5. सुफ़र (विवाह के अनुष्ठान): विवाहित जोड़ा निकाह के बाद सुफ़र करते हैं, जिसमें उन्हें धार्मिक और सामाजिक साथी के रूप में जीवन जीने का आदान-प्रदान किया जाता है।
  6. तलाक (विवाह विच्छेद): इस्लाम में तलाक का प्रावधान होता है, जिससे विवाहित जोड़ा अगर समस्याओं का सामना करता है, तो वे विच्छेद कर सकते हैं। तलाक के कई रूप हो सकते हैं, जैसे कि तलाक-ए-सुन्नत और तलाक-ए-बिदात आदि, जो इस्लामी शरीअत के अनुसार होते हैं।

यह सभी धार्मिक और सामाजिक रस्में इस्लामी विवाह में महत्वपूर्ण हैं, और इसे समाज और धर्म की मान्यता के साथ किया जाता है।

बौद्ध धर्म में विवाह का रीति-रिवाज क्या है

बौद्ध धर्म में विवाह का रीति-रिवाज बौद्ध धर्म की सम्प्रदायों और क्षेत्रों के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ मुख्य धार्मिक प्राक्रियाएँ और रस्में बौद्ध विवाह में महत्वपूर्ण होती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ बौद्ध विवाह के मुख्य पहलु:

  1. बौद्ध संग्याक (दुल्हन और दुल्हा): बौद्ध विवाह में, विवाहित जोड़े को “बौद्ध संग्याक” कहा जाता है, जो विवाह के समय एक संग्याक (दुल्हन) और दुल्हा (दूल्हा) के रूप में आदर्शित होते हैं।
  2. धार्मिक प्रार्थना और ध्यान: बौद्ध धर्म में विवाह समाप्त होने से पहले, विवाहित जोड़े को धार्मिक प्रार्थना और ध्यान के साथ धर्मिक अद्भुत रस्मों का पालन करने की संभावना होती है।
  3. मन्त्र पठन (वेदी रस्म): बौद्ध विवाह में, एक विशेष वेदी (अल्टर) के सामने विवाहित जोड़े को मन्त्र पठन के साथ विवाह के समय उपस्थित होना होता है। यह मन्त्र पठन विवाहित जोड़े के लिए धार्मिक और मानसिक भलाइयों की कामना करता है।
  4. परिवार का समर्थन: बौद्ध विवाह के प्रमुख धार्मिक रीतियों में से एक है कि परिवार का समर्थन और सहमति महत्वपूर्ण होते हैं। विवाहित जोड़े के परिवार वालों की समर्थन और आशीर्वाद की आवश्यकता होती है।
  5. दान और दहेज (केन्या दान): बौद्ध विवाह में, दुल्हन के परिवार द्वारा दुल्हन को एक छोटी सी दहेज दी जाती है, जो केन्या दान के रूप में जाना जाता है।
  6. संगी समर्थन (विवाह के परिणामस्वरूप उत्पन्ने बच्चों का संगी समर्थन): बौद्ध विवाह के परिणामस्वरूप जब बच्चे पैदा होते हैं, तो उनके परिवार वालों का उनका संगी समर्थन करते हैं।

बौद्ध धर्म में विवाह का यह प्रक्रिया और रीति-रिवाज धार्मिक और सामाजिक महत्वपूर्णता रखते हैं और यह विवाहित जोड़े के लिए धर्मिक और मानवीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।

इसाई धर्म में विवाह का रीति-रिवाज क्या है

इसाई धर्म (यानी, ख्रिस्ती धर्म) में विवाह का रीति-रिवाज ख्रिस्ती समुदायों और उनके क्षेत्रों के आधार पर थोड़े भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ मुख्य धार्मिक प्राक्रियाएँ और रस्में ख्रिस्ती विवाह में महत्वपूर्ण होती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ इसाई विवाह के मुख्य पहलु:

  1. विवाहीत जोड़े का समझौता: ख्रिस्ती विवाह में, विवाहित जोड़े के बीच मौजूदा समझौते का पालन किया जाता है, जिसमें दोनों पक्ष अपने विवाह की शर्तों और विचारों को स्वीकार करते हैं।
  2. दुल्हन और दूल्हे का तैयारी: विवाह के पहले, दुल्हन और दूल्हे का तैयारी किया जाता है, जिसमें उनके वस्त्र और आभूषण का चयन किया जाता है।
  3. विवाह में उपस्थिति: विवाह के समय, विवाहित जोड़े के परिवार और दोस्त विवाह समारोह में उपस्थित होते हैं, जो सम्पर्क, आशीर्वाद, और समर्थन प्रदान करते हैं।
  4. विवाह समारोह (मिसा): इसाई विवाह में विवाह समारोह किया जाता है, जिसमें पदरियों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान, प्रार्थना, और विवाह की आदान-प्रदान होती है।
  5. वोव्स (वचन): विवाह में, दुल्हन और दूल्हे को वोव्स (वचन) लेने के लिए कहा जाता है, जिसमें वे अपने आप को दूसरे के साथ सांभालने का प्रतिबद्ध होते हैं।
  6. हनीमून: विवाहित जोड़े के बाद, वे आमतौर पर एक हनीमून यात्रा पर जाते हैं, जिसमें वे अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं।
  7. सामाजिक और पारंपरिक मान्यता: इसाई विवाह में सामाजिक और पारंपरिक मान्यता का महत्वपूर्ण भूमिका होता है, और यह विवाहित जोड़े के लिए सामाजिक समर्थन और आशीर्वाद की आवश्यकता होती है।

यह सभी प्रक्रियाएँ और रस्में इसाई विवाह में महत्वपूर्ण होती हैं और यह विवाहित जोड़े के लिए धार्मिक और मानवीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। यह धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के साथ सम्मिलित होती हैं और विवाह को एक पवित्र और महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।

सिख धर्म में विवाह का रीति-रिवाज क्या है

सिख धर्म (खालसा पंथ और अन्य सिख समुदायों के लिए) में विवाह का रीति-रिवाज खास धार्मिक और सामाजिक महत्वपूर्णता रखता है और खासकर खालसा सिख समुदाय में इसका मान्यता होता है। इसाबत सिख विवाह के कुछ मुख्य पहलु निम्नलिखित हैं:

  1. आरंभिक धार्मिक प्रार्थना (अरदास): विवाह के पहले और विवाह समारोह के दौरान, सिख परिवार अरदास के रूप में धार्मिक प्रार्थना करते हैं, जिसमें विवाहित जोड़े के लिए खुशियों और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
  2. अनांद काराज (आनंद कारज): सिख विवाह को “आनंद कारज” भी कहा जाता है, जिसमें विवाहित जोड़ा अनंद साहिब (गुरु ग्रंथ साहिब, सिख धर्म के प्रमुख ग्रंथ) के सामने आकर विवाही रस्मों को पूरा करता है। यह गुरु ग्रंथ साहिब के आगे धार्मिक पठन और कीर्तन की विशेष कार्यक्रम होता है।
  3. अनंद कराज दी गर्मी (विवाह का मिठाई का साथ): सिख विवाह में, अनंद काराज के बाद दूल्हा और दुल्हन के परिवार द्वारा एक-दूसरे को मिठाई का साथ दिया जाता है, जिससे विवाही जोड़े के बीच सुखमय और मित्रतापूर्ण संबंध का प्रतीक होता है।
  4. सिख संगत का सहमति और आशीर्वाद: सिख विवाह में समाज के अन्य सदस्यों का सहमति और आशीर्वाद महत्वपूर्ण होता है। विवाहित जोड़े को सिख संगत के समर्थन का आभास होता है और उन्हें उनके नए जीवन के लिए समर्थन प्राप्त होता है।
  5. विवाह का वचन (अरदास): विवाह में, विवाही जोड़ा गुरु ग्रंथ साहिब के सामने जाकर विवाह का वचन देता है, जिसमें वे आपसी समझौते को स्वीकार करते हैं और एक-दूसरे के साथ धार्मिक और सभ्य जीवन जीने का प्रतिबद्ध होते हैं।
  6. धार्मिक प्रियंकर्ता का सहमति: सिख धर्म में विवाह के लिए धार्मिक प्रियंकर्ता की सहमति और आशीर्वाद महत्वपूर्ण होता है।

सिख विवाह का यह प्रक्रिया और रस्में खासकर धार्मिक और सामाजिक महत्वपूर्ण होती हैं और विवाहित जोड़े के लिए धर्मिक और मानवीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। यह सिख समुदाय के मान्यताओं और पारंपरिक मूल्यों के साथ मिलकर विवाह को एक महत्वपूर्ण और पवित्र घटना मानते हैं।

भारत सरकार का शादी करने से सम्बंधित क्या कानून है

भारत में शादी के सम्बंध में कई कानूनी प्रावधान हैं, जिनमें विवाह की प्रक्रिया, योग्यता, और अन्य धार्मिक और सामाजिक मामले शामिल हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य कानून और नियम, जिनके तहत भारत में शादी करने से संबंधित कानून होते हैं:

  1. हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955: यह अधिनियम हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए विवाह की प्रक्रिया, योग्यता, और अन्य संबंधित मामलों को व्यवस्थित करता है। यह अधिनियम विवाह के पंजीकरण, विवाह सम्पन्न करने की उम्र, विवाह सम्पन्न करने की प्रक्रिया, और विवाहित जोड़े के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है।
  2. मुस्लिम विवाह के कानून: मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए, विवाह के कानून इस्लामिक शरीअत के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं। इसमें निकाह (शादी) के नियम और अन्य विवाहित जोड़े के अधिकार और कर्तव्यों का विवरण शामिल होता है।
  3. विशेष विवाह अधिनियम, 1954: इस अधिनियम के तहत, विशेष समुदायों और उनके विवाह से संबंधित नियम और विधियाँ निर्धारित की गई हैं, जैसे कि सिख, बौद्ध, जैन, और पारसी समुदायों के लिए।
  4. शादी के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कानून, 2005: यह कानून भारत में विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है। यानी, विवाह होने के बाद उसका पंजीकरण किया जाना चाहिए।
  5. धर्मांतरण विवाह: धर्मांतरण विवाह के लिए अलग-अलग धर्मों में विवाहित जोड़े को आवश्यक कानूनी और धार्मिक अनुमति चाहिए।
  6. समलैंगिक विवाह: भारत में कुछ राज्यों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल रही है, जबकि कुछ राज्यों में इसका कोई कानून नहीं है।

इन कानूनों के अलावा, अन्य विवाह से संबंधित कानून और विधियाँ भी हो सकती हैं जो विशेष राज्यों और समुदायों के लिए लागू होती हैं। विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त करने और विवाह की प्रक्रिया को निर्धारित करने के लिए, विवाही जोड़े को अपने स्थानीय सरकार और धर्मिक अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।

Love Marriage सही है कि Arrange Marriage

“Love Marriage” और “Arrange Marriage” दोनों ही अपने अपने तरीकों से सही हो सकते हैं, और यह आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, परिस्थितियों और सामाजिक मूल्यों पर निर्भर करता है। यह दोनों प्रकार के विवाहों के फायदे और नुकसान हो सकते हैं:

Love Marriage:

फायदे:

  1. प्यार और संवाद: लव मैरिज में आपके और आपके साथी के बीच में प्यार और संवाद का महत्वपूर्ण भूमिका होता है, जो साथी के साथ गहरे रिश्तों का निर्माण कर सकता है।
  2. आपकी पसंद: आपकी खुद की पसंद और चुनौतियों का सामना करने का अवसर मिलता है, जिससे आपके साथी के साथ बेहतर समझौतों का अवसर होता है।
  3. अधिक आत्मनिर्भरता: लव मैरिज से आप अपने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का अवसर पा सकते हैं, क्योंकि आपको अपने फैसलों के लिए जिम्मेदार होना पड़ता है।

नुकसान:

  1. परिवार के साथ संघर्ष: कई बार, लव मैरिज में परिवार के साथ संघर्ष हो सकता है, क्योंकि परिवारों की अपेक्षा और मान्यता भी महत्वपूर्ण होती है।
  2. सामाजिक दबाव: कुछ सामाजिक और सांस्कृतिक प्राथमिकताओं के कारण, लव मैरिज को सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

Arrange Marriage:

फायदे:

  1. परिवार समर्थन: अरेंज मैरिज में आपको अकेले नहीं बल्कि परिवार के समर्थन और मान्यता का अवसर मिलता है, जो सामाजिक सुरक्षा और समर्थन प्रदान कर सकता है।
  2. सामाजिक सुरक्षा: अरेंज मैरिज के बाद, सामाजिक सुरक्षा का अधिका सुनिश्चित होता है, क्योंकि आपके साथी और उनके परिवार द्वारा समर्थित होते हैं।
  3. अपने दिशानिर्देश में मदद: अरेंज मैरिज के दौरान, परिवार और अनुभवी लोग आपके लिए उपयोगी सलाह और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।

नुकसान:

  1. अनचाही प्रेशर: कई बार, अरेंज मैरिज में दबाव और अनचाही प्रेशर हो सकता है, क्योंकि आपको अपने परिवार की उम्मीदों और समाज के चिंतित मान्यताओं का सामना करना पड़ता है।
  2. पसंद ना करने की स्थिति: अरेंज मैरिज में, आपकी पसंद और चुनौतियों का मामूला नहीं हो सकता है, और आपको अपने जीवनसाथी को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश करनी होती है।

इन तत्वों को ध्यान में रखकर, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने और अपने साथी की जरूरतों, मूल्यों, और प्राथमिकताओं के साथ विवाह का फैसला लें, चाहे वो लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज। ध्यान दें कि विवाह के फैसले को धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक लेना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि आपके और आपके साथी के बीच साथी और समर्थन की बाधा नहीं हो।

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