कोरोना का टीका तो आपने लगवाया ही होगा अब Covishield के बारे में खबर आई है। Covishield के साइड इफेक्ट क्या है?
अब इसके बारे में खबर आई है कि टीका बनाने वाली एक कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में मान लिया है कि कुछ दुर्लभ मामलों में उसके टीके का साइड इफेक्ट होता है। इसी कंपनी का टीका भारत में आपको Covishield के नाम से दिया गया है l भारत में 2 अरब से अधिक टीके लगे हैं। इनमें से 1,70,00,00,000 टीका तो केवल Covishield का था। क्या यह आप सभी के लिए चिंता का विषय है? लेकिन जब तक कोई वैज्ञानिक साक्ष्य ना हो ठीक से शोध ना आ जाए, आपको हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए। बेशक सरकार को तुरंत इस मुद्दे पर जनता को आश्वस्त करना चाहिए कि जानने के बाद उसे क्या क्या करना चाहिए। केवल दुर्लभ कहना काफी नहीं देखना चाहिए कि एक निश्चित संख्या में कितने लोगों को इसका साइड इफेक्ट होता है, जिसके कारण हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज हो जाता है। हम आज इस पर बात करेंगे। लेकिन आपको कोरोना के समय की कुछ पुरानी बातें भी याद दिलाएंगे कि टीका हमेशा फ्री नहीं था। विपक्ष की पहल और दबाव के बाद फ्री किया गया। आप जानते हैं कि भारत में जनवरी 2020 में टीके लगने शुरू हुए। Covishield का टीका लगवाने के लिए लोग लाइनों में लग जाते थे। खुद से मांग करते थे लेकिन जब से ब्रिटेन की अदालत से यह खबर आई है, लोग तरह तरह की आशंकाओं में जीने लग गए हैं। इसकी वजह भी है हाल के दिनों में हार्ट अटैक की घटनाएं और लोगों का टीके के दुष्प्रभाव से उसे जोड़ देना।
Covishield से हार्ट अटैक कि घटनाएँ
हार्ट अटैक की घटनाएं बढ़ी हैं या सामान्य ही हैं, इस पर भी मैं टिप्पणी करने से बचूंगा, क्योंकि जिस देश में जनगणना तक नहीं हुई हो, उस देश में इसका डेटा सही होगा, इसकी उम्मीद कम से कम मुझे नहीं है। फिर भी हम इसके बारे में भी इस आर्टिकल में आगे चलकर बात करेंगे। Covishield टीके की खोज करने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में माना है कि इसका साइड इफेक्ट यह होता है कि कभी-कभी खून का थक्का जम जाता है और प्लेटलेट्स कम हो जाता है, जिसके कारण कार्डिएक अरेस्ट होता है, जिसे आम जुबान में लोग हार्ट अटैक कहते हैं। इसके अलावा ब्रेन हैमरेज का भी खतरा हो जाता है। इस बीमारी का वैज्ञानिक नाम है थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसिस साइटो पीनिया सिंड्रोम या टीटीएस। टीका बनाने के तीन साल के बाद कंपनी ने पहली बार यह कबूल किया है कि उसके टीके से दुर्लभ मामलों में टीटीएस का खतरा हो सकता है। एस्ट्राजेनेका पर कई लोगों ने केस किया कि उनके टीके से गंभीर बीमारी और मौत हो सकती है। 50 से अधिक केस दायर हुए हैं। ब्रिटेन में और 100 मिलियन पाउंड के हर्जाने का कंपनी पर दावा किया गया है। अप्रैल 2021 में ब्रिटेन के एक नागरिक जेमी स्कॉट के दिमाग में टीका लगाने के तुरंत बाद खून का थक्का फंस गया और तीन बार उनकी जान जाते जाते बची। जेमी स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका पर केस कर दिया कि इसके टीका से खास तरह का साइड इफेक्ट हो सकता है। वैसे ब्रिटेन में साइड इफेक्ट की बात टीके के लॉन्च के समय से ही होने लगी थी। उस समय यह सुझाव दिया गया कि 40 से कम उम्र के लोगों को वैकल्पिक टीका दिया जाएगा, क्योंकि यह माना गया कि टीके का खतरा कोविंद से भी ज्यादा हो सकता है। कोर्ट में वकीलों ने कहा कि जितनी उम्मीद कर रहे थे, टीका उतना सुरक्षित नहीं निकला। ब्रिटेन की मेडिसिन्स एंड हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी यानी एमएच आरए के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इंग्लैंड में कम से कम 81 मौतें ऐसी रहीं हैं जो टीके के रिएक्शन से हुई हैं। मरने वालों में प्लेटलेट्स कम होने के अलावा खून के थक्के भी बनने लगे थे। जिन लोगों में इस तरह का रियेक्शन देखा गया उनमें से हर पांचवें व्यक्ति की मौत हो गई। यह आधिकारिक आंकड़े हैं। दिसंबर 2 हज़ार 20 में एस्ट्राजेनेका ने अपने टीके का इमरजेंसी लॉन्च किया। उस समय के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि यह ब्रिटेन के विज्ञान की जीत है। कई प्रकार के रिसर्च में भी दावा किया गया कि एस्ट्राजेनेका का बनाया टीका सबसे सुरक्षित है। दुनिया भर के रेगुलेटर ने कहा कि टीका लगाने से रिस्क कम होता है। नहीं लगाने पर जान जाने का रिस्क ज्यादा हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सुरक्षित बताया था। इसके बाद भी कुछ ही महीने के भीतर यानी मार्च 2 हज़ार 21 में ही एक नई किस्म की बीमारी की पहचान कर ली गई और इस दुर्लभ बीमारी पर शोध शुरू हो गया। इसका नाम पड़ा वैक्सीन इंडियो इम्यून थ्रोम्बोसिस ओपिनियन एंड थ्रोम्बोसिस यानी वीआईटी टी। जुलाई 2 हज़ार 21 में ही एक वैज्ञानिक शोधपत्र छप चुका था, जिसमें बताया गया कि टीका लेने वालों में 5 से 24 दिनों के भीतर वीआईटी। के केस आने लग जाते हैं। ऑस्ट्रिया, नॉर्वे, जर्मनी में ऐसे कई केस मिले। – Covishield के साइड इफेक्ट क्या है?
ब्रिटेन के कोर्ट में वकील क्या बोले – Covishield के साइड इफेक्ट क्या है?
ब्रिटेन के वकीलों ने दावा किया है कि वीआईटी एक प्रकार से टीटीएस का ही रूप है, जिससे खून जम जाता है। इसकी सटीक परिभाषा के लिए किसी चिकित्सक और वैज्ञानिक से सलाह लीजिए। काफी समय से एस्ट्राजेनेका यह मानने को तैयार ही नहीं थी कि टीके से ऐसी कोई बीमारी हो सकती है। एक साल बाद इस कंपनी ने माना है कि उसके बनाए टीके के साइड इफेक्ट से हार्ट अटैक हो सकता है। ब्रिटेन के नागरिक जेमी स्कॉट के केस में मई 2023 में कंपनी ने कहा कि हम नहीं मानते कि टीके के कारण जेनेरिक स्तर पर खून के थक्के जमने की स्थिति पैदा होती है। लेकिन फरवरी 2024 में यही कंपनी पलट गई और मान लेती है कि उनके टीके से दुर्लभ मामलों में प्लेटलेट कम हो सकते हैं और खून के थक्के जम सकते हैं। क्यों होता है, ऐसा अभी स्पष्ट नहीं है। कंपनी ने कहा है कि बिना टीके के भी खून जम सकता है। इसलिए हर केस की अलग अलग जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि ऐसा क्यों हुआ। कंपनी के खिलाफ वकीलों ने कहा है कि उनके टीके में खामियां हैं और इसके प्रभाव को लेकर जरूरत से ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर दावे किए गए। एस्ट्राजेनेका ने इस बात का विरोध किया है। कंपनी तो यह भी कहती है कि उसने अप्रैल 2021 में ही अपने प्रोडक्ट में यह सूचना जोड़ दी थी कि टीका पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में खून का थक्का जम सकता है। जेमी स्कॉट के केस के जवाब में कंपनी ने यह बात मानी है कि उसके टीके का साइड इफेक्ट है। अगर कंपनी ने यह बात स्वीकार कर ली है कि उसके टीके से बीमारी और मौत हो सकती है तो उसे करोड़ों का हर्जाना देना होगा। हालांकि कंपनी को सरकार से सुरक्षा प्राप्त है तो पैसा सरकार देगी। लेकिन सरकार ने फिलहाल इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। बात यहां हर्जाने की नहीं है। जिन्होंने टीका लिया है, उनकी आशंकाओं की है। उन्हें यह वजह बेवजह डर हो सकता है कि Covishield का टीका लगाया है तो वे सुरक्षित हैं भी या नहीं। क्या हार्ट अटैक का खतरा उन्हें भी हो सकता है? कोरोना के समय टीके को लेकर दो तरह की धाराएं दुनिया में चल रही थी। जो धारा टीके पर सवाल उठा रही थी उन्हें कानून से डराया जा रहा था। विज्ञान का विरोधी बताया जा रहा था इसके लिए एंटी वैक्सीन, वैक्सीन, रेजीडेंसी जैसे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा था। टीका विरोधियों में भी कई धाराएं थी। 2021 में माया गोल्डन बर्क की एक किताब आई वैक्सीन रेजीडेंसी पब्लिक ट्रस्ट एक्सपर्टीज एंड द वॉर ऑन साइंस। गोल्डन बर्क का कहना है कि लोगों में टीके को लेकर संकोच इसलिए पैदा हुआ l – Covishield के साइड इफेक्ट क्या है?
वैज्ञानिकों का क्या कहना है ? – Covishield के साइड इफेक्ट क्या है?
वैज्ञानिक अपने तथ्यों को सरल भाषा में आम जनता के सामने नहीं रख पा रहे थे वे मानकर चल रहे थे कि लोग अपने आप समझ जाएंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ। कई लोगों को अपने डॉक्टर में तो भरोसा हो सकता है, लेकिन हेल्थ सिस्टम में नहीं। कई टीका विरोधी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार टीके का विरोध करने लगे। कुछ विज्ञान विरोधी मान्यताओं के आधार पर विरोध करने लगे और कुछ वैज्ञानिक आधार पर सवाल कर रहे थे। उनका मानना था कि ठीक से जांच परख के बाद ही टीके को लॉन्च करना चाहिए ना कि हड़बड़ी में वे इस बात को लेकर और आश्वस्त होना चाहते थे कि टीके को लॉन्च करने में सभी प्रकार की सावधानियां बरती गई हैं। वैसे भारत में भी वैक्सीन वॉर (Vaccine War) नाम से एक बेकार सी फिल्म बनी थी। ब्रिटेन और अमेरिका में वैक्सीन की खोज हुई। मगर इन देशों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लेकर फिल्म नहीं बनी। भारत में प्रोपेगेंडा फिल्म बनाने का टाइम भी है, पैसा भी है और मूर्ख दर्शकों की कोई कमी नहीं है। इस दौरान हमारे कुछ एक्सपर्ट ने टीके का समर्थन करते हुए भी कहा कि जो लोग वैज्ञानिक आधार पर टीके पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें भी सुनने की जरूरत है, क्योंकि इस वक्त हम हर पहलू जान लेने का दावा नहीं कर सकते हैं। लेकिन कोरोना के समय कई सरकारों ने कई तरह से मजबूर किया टीका लेना है, उन सवालों को नहीं सुना गया। पीछे की तरफ मुड़कर देखिए तो कोरोना तेजी से फैल रहा था। संक्रमण को रोकने का प्रयास हो रहा था रास्ता भी यही था कि टीका लगे। टीका आए तब देश और समाज की जिम्मेदारी बन गई कि टीका लें और दूसरे को कोरोना होने से रोकें। जो भी इसका विरोध करता था, उस वक्त मजाक उड़ाया जाता था दुनिया भर में टीके का विरोध अलग अलग कारणों से हुआ, मगर भारत में ज्यादातर विरोध नहीं हुआ। लोगों ने उत्साह और विश्वास के साथ टीके लगाए। लेकिन जब टीकाकरण का दूसरा दौर शुरू होता है यानी तीसरा डोज लगने लगा।
इस कंटेंट को इस विडियो से लिया गया है
कोविशील्ड से ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक | Covishield side effects: heart attack, brain haemorrhage
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